
मुंगेली/बम भोले भंडारी बाबा का भजन – कीर्तन करते मुंगेली केशरवानी महिला समिति ने बड़ी संख्या में हर वर्ष की भांति सावन माह में शिव जी की भक्ति में जलयात्रा मल्हार के ऐतिहासिक पातालेश्वर महादेव पर जल चढ़ाकर भोले बाबा की पूजा – अर्चनाकर उनका आशीर्वाद प्राप्तकर यादगार फोटोग्राफी और मंदिर के इतिहास की जानकारी ली । कहा जाता है कि पातालेश्वर मंदिर ‘प्राचीन स्मारकों और पुरातात्विक स्थलों का राष्ट्रीय महत्व बहुत है और पातालेश्वर मंदिर को मूल रूप से केदारेश्वर मंदिर भी कहा जाता है । जो भगवान शिव को समर्पित मल्हार का अनोखा मंदिर है । इस शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल कहीं नजर नहीं आता है बल्कि वह सीधे पाताललोक में समा जाता है । पातालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कल्चुरीकाल में 10वीं से 13वीं सदी में सोमराज नामक ब्राह्मण ने कराया था।पालेश्वर मंदिर का मंडप अधिष्ठान ऊंचा है पर गर्भ गृह में जाने के लिए 5-6 सीढ़िया उतरना पड़ता है । अर्थात गर्भगृह धरातल पर ही है। द्वार के बांई तरफ़ कच्छप वाहिनी यमुना एवं दांई तरफ़ मकर वाहिनी गंगा देवी की स्थानक मुद्रा में सुंदर आदमकद प्रतिमा है। इनके साथ ही शिव के अन्य अनुचर भी स्थापित हैं ।बिलासपुर जिला के मल्हार महादेव मंदिर अद्भुत स्थान है. यह मंदिर अपनी रहस्यमयी मान्यताओं के लिए जाना जाता है । महाशिवरात्रि में यहां पंद्रह दिनों के भव्य मेला का भी आयोजन होता है । मंदिर से दो किलोमीटर की दूरी में उत्तर-पूर्व में डिंडेश्वरी मंदिर के पश्चिम में स्थित है। महिला समिति ने
शुद्ध काले ग्रेनाइड से बनी मां डिडनेश्वरी की प्रतिमा का भी दर्शन किया और माता के दरबार में प्रसाद प्राप्त किया । मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। माता अपने दरबार से किसी को भी खाली हाथ नहीं जाने देती। यहां स्थानीय लोगों के अलावा पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश और देशभर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मल्हार में पुरातत्व के अनेक मंदिरों के अवशेष हैं। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 10 वीं-11वी ई. में हुआ था । 52 शक्तिपीठों में 51 वां शक्तीपीठ मल्हार में हैं। ये मूर्ति कला का उत्तम नमूना है। इस जलयात्रा में महिलाओ ने भक्ति के साथ ही मनोरंजन से भरपूर गेम, अंताक्षरी, रील बनाया और अपने – अपने घरों से लाए विभिन्न पकवानों का आनंद उठाया ।

