
मुंगेली— जिले में छत्तीसगढ़ की परंपरागत लोक संस्कृति का प्रतीक हरेली पर्व इस बार भी पारंपरिक उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। हरेली छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार माना जाता है, और इस दिन गांव-गांव में पारंपरिक खेल, गीत, और सामाजिक आयोजन देखने को मिलते हैं।
ग्राम पंचायत बेलखुरी सहित आसपास के गांवों में युवाओं और बच्चों ने गेड़ी चढ़कर एवं नारियल फेंक प्रतियोगिता में भाग लेकर परंपरा को जीवंत रखा। बच्चों ने लकड़ी से बने गेड़ी पर चढ़कर पूरे गांव में दौड़ लगाई। शासकीय वीरांगना अवंतीबाई लोधी महाविद्यालय पथरिया के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष सुरेश कुमार राजपूत ने बताया कि गेड़ी बचपन की सबसे खास यादों में से एक है, जिसे अब आधुनिकता के कारण लोग भूलते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि महामाया पारा में सुबह से ही युवाओं और बच्चों के बीच नारियल फेंक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान पूरा माहौल हर्ष और उल्लास से भरा रहा। रवि राज ठाकुर ने बताया कि अब गांवों में गेड़ी का चलन कम होता जा रहा है, जबकि पहले बच्चे गेड़ी से दौड़ लगाकर हरेली जैसे त्योहारों को खास बनाते थे। हरेली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह हमारी मिट्टी, हमारी संस्कृति और हमारी परंपराओं से जुड़ने का एक माध्यम है। हरेली पर्व के अवसर पर युवाओं ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए तालाब की मेंड़ पर बरगद, करंज और पीपल जैसे छायादार पौधों का रोपण किया। इस पौधारोपण कार्यक्रम में दुर्गेश साहू, लीलाराम साहू, देवराज साहू, दौलत सिंह राजपूत, सुरेश कुमार राजपूत, नितेश कुमार राजपूत, रामा साहू, बृजेश राजपूत और शिवकुमार साहू सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता सक्रिय रूप से शामिल रहे। हरेली पर्व ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराएं आज भी जीवित हैं और नई पीढ़ी में जागरूकता के साथ आगे बढ़ रही हैं।
